पिता
पिता
पिता एक उम्मीद एक आस है
परिवार कि हिम्मत और विश्वास है
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उनके दिल में दफन कई मर्म है
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसले कि दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है
बचपन में खुश करनेवाला खिलौना है
नींद आये तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है
सबको बराबरी का हक दिलाता यही एक महारथी है
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है
इसी से तो मां और बच्चों कि पहचान है
पिता जमीर है और जागीर है
जिसके पास यह है वह सबसे अमीर है
कहने को सब उपरवाला देता है
पर खुदा का ही एक रूप पिता होता है।