Jyoti Khari

Inspirational

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Jyoti Khari

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पिता:सम्पूर्ण ब्रह्मांड...!!!!

पिता:सम्पूर्ण ब्रह्मांड...!!!!

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जब हम छोटे थे, गिरते थे, कदम लड़खड़ाते थे।

तब वो पिता ही थे, जो हाथ थामकर चलना हमें सिखाते थे।

हमारी नन्ही- सी मुस्कान के लिए, घोड़ा बनकर पीठ पर हमें बिठाते थे।

रोने पर हमारे, हमें गले से वो लगाते थे।

वो पिता ही थे……

जो कन्धे पर हमें बिठाकर, दुनिया की सैर कराते थे।

बच्चे की हर ज़िद के आगे वो झुक जाते थे।

वो पिता का खुद भूखा रहकर, हमें खाना खिलाना।

वो हमें बिस्तर पर लिटाकर, खुद ज़मीं पर सो जाना।

वो त्यौहारों पर, ख़ुद पुराने कपड़े पहनकर हमें नये कपड़े दिलाना।

वो तकलीफ़ में होने पर भी मुस्कुराना।

इतना आसान नहीं होता पिता का ऋण चुकाना।

पिता समर्पण है, त्याग है…..

पिता जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान है।

पिता का दुःख समझकर भी, हम उनके दुःख से अंजान है।

लाखों गलतियाँ करते है हम, फिर भी हम उनकी जान है।

और उनका निस्वार्थ प्रेम भाव तो देखिये……

फिर भी;हमें गले लगाकर कहते हैं ये मेरी संतान है।

पिता परिवार की पूर्ति है, पिता त्याग की मूर्ति है।

पिता जीवन का सहारा है, पिता बीच भवर में नदी का किनारा है।

पिता तो वो है……

जो दुनिया से जीतकर बस अपनी संतान से हारा है।

पिता का सर पर हाथ होता है, तब हर सपना साकार होता है,

तब जाकर कहीं संतान का विकास होता है।

पिता में ही सभी देवता हैं समाये…..

पिता भगवान का चेहरा हैं, बेटियों के लिए तो…..

पिता सुरक्षा का पहरा हैं।

माँ ने उँगली पकड़कर चलना सिखाया, पिता ने पैरों पर खड़ा किया।

आज हम जो भी; पिता ही तो हैं ,जिन्होंने हमें बड़ा किया।

हर पिता में दिखती मुझे, मेरे पिता की सूरत है।

पिता स्वयं ही ईश्वर की मूरत है।

जब छोड़ देता है साथ, हमारा ख़ुद का साया……

मुसीबत में जब हो जाता है, हर अपना पराया……

लेकिन; वो पिता ही थे, जिसने हर मुसीबत में साथ निभाया।

जी लो जीवन जब तक पिता का साथ है…..

पिता के बिन हर बच्चा अनाथ है।

पिता बच्चों के प्रतिपालक हैं, पिता जीवन के संचालक हैं।

पिता के बिना जीवन व्यर्थ है, संतान पिता के बिना असमर्थ है।

पिता बच्चों की सुनहरी तकदीर है……

दुश्मनों में भी महफूज़ रखे हमें, पिता ऐसी शमशीर है।

पिता रक्षक है, पिता जीवन के पथ प्रदर्शक है…..

पिता जीवन का शिक्षक है।

पिता जीवन की आस है, पिता का ही एक ऐसा प्रेम है…..

जिसमें; मिलता हमेशा समर्पण और विश्वास है।

पिता के जीवन में होते बहुत गम हैं……

हमारी मुस्कुराहट के लिए, दफना लेते दिल में अपार मर्म हैं।

न करते कभी अपनी आँखें हमारे सामने नम हैं।

जो ये धारणा रखते हैं_

पिता की कुर्बानी को जो; कर्तव्य कहते हैं।

ज़रा एक बार अपने दिल से पूछो, पता चलेगा तब……

पिता बच्चों का जीवन बनाने में कितना दर्द सहते है।

हैं! नासमझ वो सभी……

जो, अपनी ख्वाहिशों और मन्नतों के लिए मंदिर में जाते हैं।

घर में भूखे- प्यासे हैं माता- पिता……

और वो पत्थर की मूरत को भोग लगाते हैं।

जो खुशियाँ माँगने गये थे तुम, दर पर खुदा से…..

मिल जाती वो पिता की दुआ से।

बड़े होते ही संताने……

पिता के वृद्ध होने पर, उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं…..

पल भर में ही वो पिता से सारे रिश्तें तोड़ आते हैं।

ज़रा उनका दिखावा तो देखिये……

पिता ने खाना खाया उसका पता नहीं;और बीवी को शॉपिंग, साली को फाइव स्टार में खाना खिलाते हैं।

पिता के लिए पैसे नहीं, और दोस्तों के लिए महँगे तोहफ़े दिये जाते है।

पिता के प्यार का कोई मोल नहीं, और हाथ पर बीवी के नाम के टैटू बनवाये जाते है।

जो पिता के साथ खड़े होने पर शर्मशार है,

ऐसी संतान के होने पर धिक्कार है।

अभी तक बेटे हैं; जब पिता बनोगे तब जान पाओगे…..

तब जाकर तुम पिता का दर्द पहचान पाओगे।

फिर तुम्हें अपने पिता की याद आयेगी…..

लबों पर पिता से मिलने की, फ़रियाद आयेगी।

विशुद्ध प्रेम का भाव हैं मेरे पिता…..

मेरे शब्द मेरी आवाज़ हैं मेरे पिता।

ज्योति के लिए, पिता -सा दूजा न कोई साथी होगा….

मेरे लिए, मेरे पिता का आशीर्वाद ही काफी होगा।

ज़िंदगी मेरी, मेरे पिता के संग पूरी है…..

बिन पिता तो ये सम्पूर्ण सृष्टि अधूरी है।

पिता भाव है, संवेदना हैं…..

हदय है कोमल, गंभीर अभिव्यक्ति हैं…..

पिता से चलती सम्पूर्ण सृष्टि है।

पिता जैसा, न कोई शख़्स होगा कभी दूजा…..

भगवान से पहले मैं करती हूँ अपने पिता की पूजा।

मेरी पिता के लिए, एक यही भावना है,

मेरी बस एक यही कामना है।

मैं दुनिया के प्रत्येक पिता को उनके त्याग के लिए अभिनंदन करती हूँ…….

आज मैं उन सभी पिताओं को नत मस्तक होकर श्रद्धापूर्ण नमन करती हूँ।

_ज्योति खारी




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