फूलों की बहार
फूलों की बहार
खूब दिल बेक़रार है आज़म
देखी ऐसी बहार है आज़म
रब खिला मेरे फूल आंगन में
फूलों का ही ख़ुमार है आज़म
मैं मिलूंगा नहीं कभी उससे
दुश्मनी बेशुमार है आज़म
हर घड़ी उसकी याद ने है घेरा
के न दिल को क़रार है आज़म
तंज इतने सहे अदावत के
प्यार की बस पुकार है आज़म
लौट आ गांव शहर से हम दम
कर रहा इंतिज़ार है आज़म।
आज़म नैय्यर