God
God
उनके चरणों में अर्पित होने वाले
मैं दीप हजार हों जाऊं या
उन्हें छूने वाली ठंडी बहार हों जाऊं
बस एक ही तमन्ना है मेरी इस जिंदगी में,
कि तीर्थ स्थल जाकर वहीं का बजार हो जाऊं
उनकी आंखों में जो रहता है हर पल,
मैं वो खुमार हों जाऊं
या मीरा की ही तरह उनके भक्तों में मैं भी शुमार हो जाऊं
ज्यादा कुछ नहीं बस उनके गले का हार हो जाऊं
और मेरे रोज़ पहनने के लिए अपने हाथों से छुए मुझे,
बस इतने में तो मैं भवसागर पार हों जाऊं।
