फूल मुरझा नहीं सकता
फूल मुरझा नहीं सकता
गजल – फूल मुरझा नहीं सकता
काफिया – अझा ,रदीफ़ – नहीं सकता
बहर- हजज मुसझन सालिम
अरकान – मुफाइलून मुफाइलून मुफाइलून मुफाइलून
1222 1222 1222 1222
ये मत समझो खिला जो फूल मुरझा नहीं सकता
हारा नहीं मै जिंदगी से उलझनों सुलझा नहीं सकता।
कह दो कोई कोरोना से अपनी हद में रहे
इतना डरा नहीं हूँ मैं उसे समझा नहीं सकता।
बंद कर ले तू अपने दिल के सब दरवाजे
दिल तेरा कोई दीवार नहीं आ जा नहीं सकता।
रोक नहीं सकेगा मिलने से इश्क मे धर्म कोई
मेरा महबूब कोरोना नहीं जिसे अपना नहीं सकता।
बनाया रहनुमा तुझे हमने खुदा बनके दिखाओ
हमारी रोटी के मसले अब तुम उलझा नहीं सकते।
चढ़ तो आया है चीन तू भारत की सीमा पर
मगर जान ले सीमा ए हिन्द जिंदा जा नहीं सकता।
