फुरसत
फुरसत
जीवन की इस भाग-दौड़ से
जब थोड़ी-सी फुरसत पाता हूं
बंद कर पलकें अपनी
बचपन की यादों में खो जाता हूं।
इक पल को सब कुछ भूल कर
मैं भी बच्चा बन जाता हूं
भूली-बिसरी यादों संग
मंद-मंद मुस्काता हूं
जीवन की इस भाग-दौड़ से
जब थोड़ी-सी फुरसत पाता हूं।
गांव की वो गलियां
कल-कल करती नदियां
बंद आंखों से देख आता हूं
जीवन की इस भाग-दौड़ से
जब थोड़ी-सी फुरसत पाता हूं।
अम्मा की वो लोरी
दोस्तों की हंसी-ठिठोली
सब दिल के करीब पाता हूं
जीवन की इस भाग-दौड़ से
जब थोड़ी-सी फुरसत पाता हूं।