फर्ज़
फर्ज़
योद्धा हैं यह देश के, पुलिस मीडिया नर्स।
डॉक्टर वैद्य सभी ने, खूब किया संघर्ष।
खूब किया संघर्ष, बचाने जान हमारी,
इधर जान थी ले रही, वायरस बीमारी।
कह " कुमार" ये देख, रखें ईश्वर का औधा,
फ़र्ज़ निभाने यार, लगे हैं अपने योद्धा।।१।।
फ़र्ज़ निभाते तो नहीं, देते हैं उपदेश।
लोग समझते हैं कहाँ, शर्म नहीं लवलेश।
शर्म नहीं लवलेश, पहन बेशर्मी चोला,
मस्ती में हो मस्त, यार दुनिया में डोला।
कह"कुमार" यह लोग, भला क्यों नहीं लजाते,
अपना जीवन बीत, गया जब फ़र्ज निभाते।२।।
फ़र्ज़ निभाया गुरु ने, दिया शिष्य को ज्ञान।
नाम मिला होता नहीं, कब होता सम्मान।
कब होता सम्मान, बता तेरा धरती पर,
ठोकर खाता रोज़, जगत में तू पग पग पर।
कह "कुमार" अब देख, निभाना तू भी भाया,
जैसे आदरणीय ,गुरु ने फ़र्ज़ निभाया ।।३।।
कितनी भी मुश्किल पड़े, नहीं छोड़ना फ़र्ज़।
यार सभ्य समाज का ,है हम पर यह कर्ज़ ।
है हम पर यह कर्ज़, चुकाना होगा यारा,
नियम यही है जान, इसे है सबसे प्यारा।
कह "कुमार" ले मान, जगत में राहें जितनी,
पार सभी हो जाएँ, भले हो मुश्किल कितनी४।।