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Uma Shankar Shukla

Inspirational

4.5  

Uma Shankar Shukla

Inspirational

फ़र्ज़

फ़र्ज़

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फ़र्ज़ अपना यों निभाना आ गया ।

राष्ट्रहित में सर कटाना आ गया ।।

हर तमस का चीरकर सीना हमें, 

दीप आँधी में जलाना आ गया ।

भूलकर संत्रास - कुण्ठा की व्यथा, 

जिन्दगी में मुस्कराना आ गया ।

लूट - हिंसा - अपहरण के दौर में, 

शान्ति का झण्डा उठाना आ गया ।

झूठ के साम्राज्य का होगा पतन, 

सत्य का दर्पण दिखाना आ गया ।

नेह-सरिता के सलिल से सींचकर, 

फूल मरुथल में उगाना आ गया ।

छल कपट मद लोभ के वटवृक्ष को, 

काटकर जड़ से मिटाना आ गया ।

         


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