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Divyanshu Kharkwal

Romance

4  

Divyanshu Kharkwal

Romance

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

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आज भी याद आता है वह दिन,

जब पहली बार तुम्हारे नेत्र से मेरे नेत्र मिले थे ।

तुम्हारी वह चमकती हुई आंखों का मेरी आंखों से अचानक से टकराना,

मानो भगवान द्वारा दिया गया मुझे कोई पुरस्कार था।

और तुम्हारे उस मुस्कुराहट को कैसे बयां करूं,

आपकी एक मुस्कुराहट ने हमारे होश उड़ा दिए,

जैसे-तैसे होश में आए ही थे, कि तुम फिर से मुस्कुरा दी।

एक पल में ना जाने क्या हो गया,

प्रेम ने मुझे इस तरह दुत्कार के भगा दिया, 

जैसे थानेदार भगा देता है,

रिपोर्ट लिखाने आए हुए लाचार-गरीब इंसान को ।



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