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Divyanshu Kharkwal

Abstract

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Divyanshu Kharkwal

Abstract

यही जिंदगी है

यही जिंदगी है

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यह जिंदगी है, मेरे प्रिय जन

गिरेंगे नहीं तो, खड़े कैसे होंगे ।


गिरेंगे नहीं तो, खड़े कैसे होंगे ।

टूटेंगे नहीं तो, सीखेंगे कैसे ।


लौट कर आने इस मन को उम्मीद नहीं तेरी,

पर इस दिल को तेरा बहुत इंतजार है ।


बिखरेंगे नहीं तो, निखरेंगे कैसे ।

उलझेंगे नहीं, तो सुलझेंगे कैसे ।

प्रियजन यही जिंदगी का उसूल है।


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