पहले जैसी शाम
पहले जैसी शाम
चिड़िया चहकती थी, बच्चे मुस्कराते थे
किसान लौटते थे, खेत से करके अपने काम।
सब कुछ बदल गया और बदलता जा रहा हैं,
अब कहाँ होती पहले जैसी शाम।
डूब गया सूरज, किसने देखा ?
सबको हैं अपने-अपने काम।
सब कुछ बदल गया और बदलता जा रहा हैं,
अब कहाँ होती पहले जैसी शाम।
आसमां में लालिमा रहती थी, सब अपनों के पास थे;
और लेते थे भगवान का नाम।
सब कुछ बदल गया और बदलता जा रहा हैं,
अब कहाँ होती पहले जैसी शाम।