Pankhuri Gupta

Romance

5.0  

Pankhuri Gupta

Romance

फितूर

फितूर

1 min
289


इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों

पहली मुलाक़ात में मुतासीर कर गया यारों

उसकी तिश्नगी सर चढ़ कर बोली हमारे

इबरत-ए-जिंदगी वो दे गया यारों


इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों

उसका अपनाना एक रस्म मात्र रह गया यारों

मोहब्बत का आबशार आखिर थमता कब तलाक

बेधड़क हवाओं सा वो बह गया यारों


इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों

शग़फ़-ए-हक़ीक़त कहीं खो गया यारों

खौफ तो समर का रहा नहीं दिल को

कुछ इस तरह रब्त उनसे हो गया यारों


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance