फिर से आज़ादी ?
फिर से आज़ादी ?
फिर से आज़ादी ?
मगर क्यूँ ?
हम सब आज़ाद हैं
अपने देश भारत में।
फिर कौन है ?
जो तुम्हें है भड़का रहा
इस आज़ादी के नाम पर
और तुम भड़क गए।
"हम ले के रहेंगे आज़ादी "
क्यूँ लगाते हो ऐसे नारे ?
ग़रीब लोगों को गुमराह कर
नचाते हो उन्हे अपने इशारे।
आज़ादी कोई खेल नहीं
जो आसानी से मिल जायेगी
आज़ादी एक सम्मान है
जिसकी ताकत हर लहू में समायेगी।
विभिन्न राज्यों से बना ये देश
आज भी सबको देता यही संदेश
कि हम सब आज़ाद हैं
अपने सीने से फौलाद हैं।
हमें इसकी रक्षा में सर कटाना है
ना कि अपनी ही आज़ादी के लिए
अपना ये सर उठाना है
जो पहले से ही है हमे मिली हुई।
हर राज्य की आज़ादी कोई
आज़ादी नहीं
भारत माँ की आज़ादी ही
असली आज़ादी है
फिर से आज़ादी ???
एक शून्य है।
फिर से आज़ादी
एक बकवास है
ये वो धोखा है
जिसमे कुछ आत्माओं का लाभ है।
इसलिये मत बहको ऐसे नारों से
एक सच्चे भारतवासी बन
भारत माँ का नाम उज्जवाल करो
अपने नेक विचारों से।
