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फिर मिलेंगे हम

फिर मिलेंगे हम

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फिर मिलेंगे हम

समुद्र की लहरों पर

समर्पण की नाव पर सवार

अपने-अपने आँसुओं को।


सदा के लिए

विसर्जित करेंगे

विरह की अग्नि से

पिघलेगा सूरज

यादों के घनीभूत जलवाष्प

बादल बन बरसेंगे।


होगी धरा सिंचित

बीज का अंकुरण

प्रेम पुष्प खिलेंगे

सुगन्धित पवन

उड़ा ले जायेगा।


प्रथम प्रेम का संदेश

अनंत दिशाओं में

फूलों और तितालियों के

रंगों में घुलमिल

मनोरम छटा बिखेरेंगे।


गायेंगे फिर हम

मिलन के गीत

जो पाया था

एक दूजे से

चाँदनी बन बाँटेंगे।


और एक दिन

चमकते सितारे

बन जायेंगे हम

अपनी ही धुरियों पर घूमते,


प्रेम मग्न हो थिरकते

ब्रह्माण्ड का हिस्सा

बन जायेंगे हम।।


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