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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

फेसबुक हमारा रंगमंच

फेसबुक हमारा रंगमंच

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जब से हमने फेसबुक के

रंग -मंच को सजाया है !

कुछ नए और कुछ पुराने

मित्रों का सानिध्य पाया है !


भले फेसबुक उन्हें मित्रों की

संज्ञा से संबोधन क्यों ना करें ?

उन्हें अपनी तूलिकाओं से

कोई रंग उसमें क्यों ना भरें ?


हम श्रेष्ठ को बस श्रेष्ठ मानेंगे

समतुल्य हमारे मित्र होंगें !

अनुज को हम सदा ही प्यार

से शीतलता का बयार देंगे !


माना कि बहुत सारे लोग इन

नक्षत्रों के सितारे बन रहे हैं !

इनके आने से हमारे आँगन

खिल खिला के हंस रहे हैं !


कुछ सप्तऋषि के प्रकाशों

से पथ आलोकिक होता है !

ध्रुब तारा के ज्ञान कुम्भ से

अमृत सदा बरसता रहता है !


हम सदा पूज्य के चरणों में

नतमस्तक होकर रहते हैं !

शिष्टाचार ,विनम्रता और प्रेम

का पाठ उन्हीं से पढ़ते हैं !


सम्तुल्य मित्रों से अपनी बातें

करना बड़ा आसन होता है !

पर कभी उनके मौनता का

रह रह कर प्रहार होता है !


पर कुछ नए लोगों की भंगिमा

देखकर हम क्षुब्ध हो जाते हैं !

आभार ,अभिनन्दन ,स्नेह जैसे

शब्दों को लिखना भूल जाते हैं !


हम बहुत खुशनसीब हैं कुछ

नए-पुराने का साथ हो गया !

कुछ अभिनय इस रंगमंच पर

करने का अवसर मिल गया !


सिखना है सारी उम्र हमको

यह अवसर इस विधा में जुड़ा है !

धनुर्धर हमको बनना है यहाँ पर

धनुष बाण गांडीव यहीं पर पडा हैं !


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