फेसबुक हमारा रंगमंच
फेसबुक हमारा रंगमंच
जब से हमने फेसबुक के
रंग -मंच को सजाया है !
कुछ नए और कुछ पुराने
मित्रों का सानिध्य पाया है !
भले फेसबुक उन्हें मित्रों की
संज्ञा से संबोधन क्यों ना करें ?
उन्हें अपनी तूलिकाओं से
कोई रंग उसमें क्यों ना भरें ?
हम श्रेष्ठ को बस श्रेष्ठ मानेंगे
समतुल्य हमारे मित्र होंगें !
अनुज को हम सदा ही प्यार
से शीतलता का बयार देंगे !
माना कि बहुत सारे लोग इन
नक्षत्रों के सितारे बन रहे हैं !
इनके आने से हमारे आँगन
खिल खिला के हंस रहे हैं !
कुछ सप्तऋषि के प्रकाशों
से पथ आलोकिक होता है !
ध्रुब तारा के ज्ञान कुम्भ से
अमृत सदा बरसता रहता है !
हम सदा पूज्य के चरणों में
नतमस्तक होकर रहते हैं !
शिष्टाचार ,विनम्रता और प्रेम
का पाठ उन्हीं से पढ़ते हैं !
सम्तुल्य मित्रों से अपनी बातें
करना बड़ा आसन होता है !
पर कभी उनके मौनता का
रह रह कर प्रहार होता है !
पर कुछ नए लोगों की भंगिमा
देखकर हम क्षुब्ध हो जाते हैं !
आभार ,अभिनन्दन ,स्नेह जैसे
शब्दों को लिखना भूल जाते हैं !
हम बहुत खुशनसीब हैं कुछ
नए-पुराने का साथ हो गया !
कुछ अभिनय इस रंगमंच पर
करने का अवसर मिल गया !
सिखना है सारी उम्र हमको
यह अवसर इस विधा में जुड़ा है !
धनुर्धर हमको बनना है यहाँ पर
धनुष बाण गांडीव यहीं पर पडा हैं !
