STORYMIRROR

नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract

2  

नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract

पहचान की तलाश में..

पहचान की तलाश में..

1 min
75

मैं सौंप रही हूं

अपने वो "सारे शब्द"

सृष्टि को,

जिनको जगह ही नहीं मिली

कभी भी

दुनिया की

किसी भी भाषा की वर्णमाला में,

भटक रहे हैं अब तक

पहचान की तलाश में ,


एक "नाम" की जरूरत

तो सभी को होती है न !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract