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Chandramohan Kisku

Abstract

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Chandramohan Kisku

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पेट की आग से धुंआ निकलता नहीं

पेट की आग से धुंआ निकलता नहीं

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हाँ, महाशय

आप बिलकुल ठीक कह रहे है

इस गरीब बस्ती में

प्रदूषण तो नहीं है

धुँआ का तो नाम ही नहीं है

क्योंकि

लोगों की पेट में आग जलने पर भी

चूल्हा तो बिलकुल ठण्डा है।

आप छाती फुलाकर बोल सकेंगे

अपनी ‘मिशन’ की सफलता के किस्से

अब गन्दी बस्ती के लोग

पहले जैसा नहीं है

स्वच्छ और सभ्य हुए है

जंगल-पहाड़ के पेड़ और लत्ता

अब वे छूते नहीं है

प्रकृति के दुश्मन

अब नहीं रहे।

आप निकाल सकते है

प्रेस नोट

अख़बारों में

छपने के लिए

नगर के चौराहों में

बड़े-बड़े होर्डिंग टाँग सकेंगे

पा साकोगे इसके लिए

बड़े-बड़े बहुत सारे पुरष्कार।

महाशय आप अच्छे से जानते है

इस बस्ती में

बहुत दिनों से जला नहीं है

चूल्हा

इसलिए तो लोगों की पेट में

आग जल रहा है।

महाशय डरने की कोई बात नहीं है

पेट की आग से

प्रकृति का दूषण होता नहीं

काला धुँआ निकलता नहीं

आसमान की ओर।


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