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Nitu Arora

Tragedy

5.0  

Nitu Arora

Tragedy

पैसा खाऊँ स्कूल

पैसा खाऊँ स्कूल

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पहले दस दस बच्चे हुआ करते थे

फिर तीन का जमाना आया

फिर से एक हवा चली

हम दो हमारे दो की लहर चली।

 

अब एक बच्चा ही चाहिए

क्योंकि महँगाई की चाल चली

खाना पीना कम कर दिया

कपड़े सिलाना बन्द कर दिया।


फिर भी महँगी फ़ीस कहाँ से भरेंगे

डाका डाले चोरी करे

स्कूल का पेट कैसे भरे

खा खा के पैसे, स्कूल का पेट भरता नहीं।


अब दो बच्चे हम से पलते नहीं

इस पैसा खाऊँ स्कूलों के दौर में

एक बच्चा ही हमको सरता हैं।


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