पानी
पानी
यूं तो हम कई बार मिल लेते हैं
पर जाने क्यों हर मुलाकात
कुछ नया बतलाती है।
परतों की परतें खुल जाती हैं।
जिंदगी भर उल्टे गिलास में पानी भरा ।
फिर कैसे हो कुछ भी भला।
यूं तो हम कई बार मिल लेते हैं
पर जाने क्यों हर मुलाकात
कुछ नया बतलाती है।
परतों की परतें खुल जाती हैं।
जिंदगी भर उल्टे गिलास में पानी भरा ।
फिर कैसे हो कुछ भी भला।