पागलपन वाला प्यार
पागलपन वाला प्यार
मुझे ना, पागलपन वाला प्यार चाहिए|
जिसमें रात-रातभर बातें हो,
और बात-बात में रातें हो|
भरे बादलों सी मुलाकातें हो,
फिर बिन मौसम बरसातें हो|
मुझे देख ले तोह खुदका नाम भूल जाए,
मुझे मुझ जैसे पागलपन वाला यार चाहिए|
खिड़की में ढलता सूरज हो,
और मेरी गोदी में पिघलता तू|
नींद ना आये और रात गुज़र जाए,
इस बात पे बिगड़ता तू|
तू हर रोज़ करें, मैं अनजान रहु,
मुझे ऐसा कुछ इकरार चाहिए|
हम लड़े, झगड़े, पर बिछड़े ना,
मुझे ऐसे पागलपन वाला प्यार चाहिए|

