ओम इग्नोराय नमः
ओम इग्नोराय नमः
दूसरों की ख़ुशी से जलो मत
ना अपना गम किसी को बताओ
जिंदगी मे चाहियें गर थोड़ी खुशियाँ
तो यही तरीका तुम अपनाओ
ख़ुद जियो और जीने दो
बस यही बात तुम निभाओ
जीना हो गर सुकून से
तो यही तरीका तुम अपनाओ
क्या फर्क पड़ता किसके पास क्या है
क्यों इन बातों मे खुद को खपाओ
मत देखो दूसरों की थाली भरी पकवान से
खुद की दाल रोटी तुम खुशी से खाओ
वैसे भी जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं है
मौत के आगे चलता कोई बहाना नहीं है
फिर क्यों दूसरों को देख ख़ुद का दिल जलाओ
जीना है गर सुकूँ से तुमको
तो ओम् इग्नोराय का मंत्र तुम अपनाओ।