नज़र का असर
नज़र का असर


उम्मीद से भरी इक नज़र
देखती इधर - उधर ,
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !
आलम ये होगा, कि जो कहता था,
"अकेला हूँ " "ना कर पाऊंगा"
रूबरू जब होगा खुद से ,
सब खुद - ब - खुद कर जाएगा !!
खुद ही में खोकर,
खुद ही को तू पा जाएगा !
भरोसा जो, खुद-ही पे कर ले
हर मुक़ाम तू पा जाएगा !
"आत्म" संग "विश्वास" मिलेगा
मंज़िल की राहें, तू खुद बुनेगा !
इक ये जहाँ ही नहीं , तेरे सजदे में
आसमां भी सर झुकायेगा !!