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Vivek Agarwal

Inspirational

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Vivek Agarwal

Inspirational

नज़्म - वर्चुअल वर्ल्ड

नज़्म - वर्चुअल वर्ल्ड

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किताबें छोड़ फोनों को, नया रहबर बनाया है।

तिलिस्मी जाल में फँस कर सभी कुछ तो भुलाया है।

उसी के साथ गुजरे दिन, उसी के साथ सोना है।

समंदर वर्चुअल चाहे, असल जीवन डुबोना है।

ट्विटर टिकटौक गूगल हों, या फिर हो फेसबुक टिंडर।

हैं उपयोगी सभी लेकिन, अगर लत हो बुरा चक्कर।

भुला नज़दीक के रिश्ते, कहीं ढूँढे हैं सपनों को।

इमोजी भेज गैरों को, करें इग्नोर अपनों को।

ये मेटावर्स की दुनिया, हज़ारों रंग भरती है।

भले नकली चमक लेकिन, बड़ी असली सी लगती है।

न खाते वक़्त पर खाना, न सोते हैं समय से अब।

नहीं अच्छी रहे सेहत, पड़े बिस्तर पे रहते जब।

हमारे देश का फ्यूचर, ज़रा सोचो तो क्या होगा।

युवा अपना जो तन-मन से, अगर मज़बूत ना होगा।

कभी सच्ची कभी झूठी, ख़बर तेजी से बढ़ती हैं।

बिना सर पैर अफ़वाहें, करोड़ों घर पहुँचती हैं।

बिना जाँचे बिना परखे, यकीं हर चीज पर मत कर।

बँटे है ज्ञान अधकचरा, ये कूड़ा मत मग़ज़ में भर।

समझ ले बात अच्छे से, किताबें काम आएँगी।

दिमागों में भरा सारा, जहर बाहर निकालेंगी।



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