Hardik Mahajan Hardik
Abstract
नयी रोशनी को अपने,
जीवन मे बिखरना चाहिए।
रोशन हो रहें वो नाम,
अपनों का भी आना चाहिए।
इस जाते हुए न...
उस मोड़ पर
जीवन में
न हारे थे, न ...
कुछ जज़्बातों...
हर घर सजाता
दिवाली की रोश...
जगमगाओं रोशनी...
चंद-चंद करके
सरल,सहज, शुद्...
वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ। वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ।
जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूरा करते दे जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूर...
वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना ! वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना !
सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना ----------- सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना -----------
तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हारे पैरों के नीचे एक ... तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हा...
भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया। भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया।
तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी। तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी।
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
कोई अल्हड़ हँसता रहता है। देखे मैंने हरदिल बस्ते ! कोई अल्हड़ हँसता रहता है। देखे मैंने हरदिल बस्ते !
हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं. हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं.
थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्पहार से, अनघ हृद... शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्...
और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं! और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं!
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी। अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी।
ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँगा। ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँ...
मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को
लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥ लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥
इसलिए घर के साथ-साथ रिश्तों में भी दीमक सी लगने लगी है। इसलिए घर के साथ-साथ रिश्तों में भी दीमक सी लगने लगी है।