नववर्ष
नववर्ष
नव वर्ष की बेला है।
जनमानस में वही उमंग ,उल्लास और अभिलाषा है ।
है नव वर्ष से उम्मीद,
बेइंतहा खुशियों की सबको।
संकल्प नए नए लिये जा रहे हैं।
कायम उन पर रहने की कसमें खाई जा रही हैं।
बेहतरीन जिंदगी को करने को कसर ना कुछ छोड़ेंगे।
बस यही सोचकर हर कोई है मुस्कुराता।
ना होगा वक्त कभी इस पल से अच्छा।
न था कभी समां इतना हसीन।
बस करने को सब तैयार बैठे
आज की शाम और कल की सुबह पूरी जिंदगी के नाम ।
अच्छा है बहुत अच्छा है, जीना जिंदगी को यूँ ही इस तरह।
पर न क्यों गौर किया हमने,
क्यों संकल्प ह
ोता है हमारा
कुछ चंद मौकों पे।
हो अगर जज़्बा यही।
और मंसूबे मजबूती के।
उतार ले मानस गर ये जुनून जीवन में।
फिर बनेगा साल नया कुछ अपनेपन से।
ना कोई दिखावा होगा ना पागलपन सा फितूर
दिलों के दिल से मिलने का हर उत्सव नया होगा।
हर शाम, हर सुबह, हर रोज नववर्ष सा कोई उत्सव सा ही होगा।
गर अपने व अपनों को बनाने का बेहतर जुनून ,
ताजिंदगी हम पर हावी हो,
गर हर कर्म समर्पित हों बस देश के लिए।
हर मानस यह समाज और मेरा देश मंद मंद मुस्कुराएगा।
तब नव वर्ष जैसे हर एक पर्व,
चेहरे पर एक मुस्कान दे जाएगा।