गंवाना न मौका तू
गंवाना न मौका तू
मौका जो मिला है
खुद को
आजमाने का तुझको आज।
जान ले,
ना फिर कभी यूँ होंगे मुश्किल ये हालात ।
पा पाया गर तू काबू इन पे आज।
हो जाएंगे छूमंतर
वो डर और खयालात।
डराते जो तुझको,
बस यूँ ही दिन और रात।
जीतता जा हर मुश्किलों को,
करता जा बस में तू, सब अपनी मुठ्ठी में।
गुजर सके हर पल सुकून से ,
ला पाएँ मुस्कुराहटें चेहरे पे कुछ अपनों के।
तू स्तंभ बन,
चट्टान सा यों अडिग बन,
ये मुश्किलें तो रास्ता खुद छोड़ देंगी तेरा।
नदी सा बन अविरल,
हर बाधा यों तुझे कहे,
रास्ते का एक शूल ही हूँ मैं,
मेरे लिए तू क्यों रुके।
ध्येय मंजिल पर तेरा अगर,
रोक सकता है कौन फिर तेरी डगर।
यों ही कदम अपने बढ़ाए जा,
जिंदगी का गीत गुनगुनाए जा
हर मंजिल आसान होगी ,
तेरी एक नई पहचान होगी