नव शुरुआत
नव शुरुआत
अभी तो जीवन की शुरुआत है
चलना तुझे बहुत ही दूरदराज़ है
पथ में जितनी होगी न बाधाएं,
उतना ही खिलेगा फूल गुलाब है
चलता चल तू अपने पथ पे राही,
चंद फासले पर ही मंजिल दांत है
अभी तो जीवन की शुरुआत है
चलना तुझे बहुत ही दूरदराज़ है
तम हट जायेगा जीवन का तेरा,
दीपक जैसे बना तू जज्बात है
कभी तो भाग्य उदय होगा तेरा,
श्रम के सहारे चला तू पतवार है
अभी तो जीवन की शुरुआत है
चलना तुझे बहुत ही दूरदराज़ है
दरिया में कभी तो मिलेगा मोती,
लगातार कर्म से कर सिंहनाद है
कामयाबी तेरे पीछे दौड़ी आयेगी,
मरुभूमि में खिलेगा फूल सज्जाद है
अमावस में उदय होगा पूनम चाँद है
बस खुद में कर तू नव शुरुआत है।