होली
होली
होली के रंग
अद्भुत नवरंग
खेल खेले कान्हा
राधा के संग
कान्हा के संग
रंग मे डुबी
राधा खो गई
अपनाही रंग
दुनियासे बेखबर
राधा खो गई
ऐसा हुआ असर
कान्हामे समा गई
रास क्रिडा करते
गोपी खूदको खो गई
कृष्ण कृष्ण कहते
मानो कृष्ण हो गई
मीरा भक्ति में डुबी
सुद बुद खो गई
छोड़ दिया संसार
खुद शाम बन गई।
