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somadatta kulkarni

Abstract

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somadatta kulkarni

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मेरी बेटी

मेरी बेटी

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मेरी लाडली, मेरा कल

सोचता हूं उसके लिए

देखता हूं उसकी ऑखों मे

नया विश्वास हर पल, हर पल।


घर का सब आनंद उसी से है

वो झूमती है, तो झूमता है सारा घर

नाचती है तो नांच उठे सारा आंगन

हर एक के मन मे समाई हुई है

हर एक दिल मे समाई हुई है।             


मेरी बेटी तो मेरा सपना है

सच पूछो तो अपना ही है

जो मै पुरा ना कर सका

उस सपनों को अपना मानता हूं

क्योंकी, 

मेरी बेटी तो मेरा सपना है      

मेरी बेटी तो मेरा सपना है।



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