नर्क स्वर्ग का लोभ
नर्क स्वर्ग का लोभ
नर्क स्वर्ग का लोभ छोड़कर ,
तू अपने कर्म किए जा,
कलियुग के राज में जो भी ,
जैसा करेगा वैसा ही पाएगा,।
पाप कर्म से है पाप जो बढ़ता ,
सत्कर्म से है पुण्य जो बढ़ता ,
सत्य वचन से है प्रेम जो बढ़ता ,
झूठ से है उन्माद जो बढ़ता ,।
करके पुण्य सुधार ले अपनी ,
पाप की पतवार को ,
नहीं तो डूब जायेगा एक दिन ,
बिन पानी की धार में ,।
एक दिन शव बन कर रह जायेगा,
अपने ही परिवार में ,
मिट्टी का तू पुतला है ,
मिट्टी में ही मिल जायेगा ,।