नफरतों का असर देखो
नफरतों का असर देखो


नफरतों का असर देखो,
बदलता हुआ शहर देखो,
जात-पात, धर्म के नाम पर,
बरसा रहा इंसान कहर देखो,
चंद पैसों की खातिर बेचकर इंसानियत,
नौजवानों के दिल में भर रहा ज़हर देखो,
कोई हिंदू कोई मुसलमान कहां है इंसान,
धर्म के बस ठेकेदार ही बैठे जिधर देखो,
एक है ऊपर वाला हम सब उसके बंदे हैं,
कोई अल्लाह तो कोई कहता ईश्वर देखो,
इंसान ही इंसान का आज हो गया दुश्मन,
अपने-अपने धर्म का कर रहा प्रचार देखो,
धर्म के लिए इंसान इंसानियत को मारकर,
एक दूसरे का रक्त बहाने को हैं तैयार देखो,
मंदिर मस्जिद के नाम पर सभी लड़ रहे हैं,
जाने किस दिशा में जा रहा ये संसार देखो,
भगवान के नाम पर भी कर रहे राजनीति,
कब रुकेगा धर्म के नाम पे अत्याचार देखो,
जाने कब इंसान इंसानियत को समझेगा,
कितना और लंबा होगा यह इंतजार देखो।