नमन कर रहा मैं उन्हें बार-बार
नमन कर रहा मैं उन्हें बार-बार
नमन कर रहा मैं उन्हें बार बार
वतन पर किये प्राण अपने निसार।
वही देश खातिर हुए हैं शहीद,
जिन्हें देश से प्यार था बेशुमार।
नहीं पीठ पर घाव के थे निशान,
बदन पर लगी गोलियाँ चार चार।
बड़े वेग से दौड़ पड़ते वो' वीर
कभी जो सुने मातु की जब पुकार।
सदा शेर जैसे रहे वो दहाड़,
करे दुश्मनों का कभी जो शिकार।
समर में जो' पीछे हटे हैं कभी न,
जरूरत पड़े शीश देते उतार।
सदा गर्व उन पर करे मातृभूमि,
दिए मातु रक्षा में' जीवन बिसार।