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नक़वी सर, बॉबी, ब्रदर बेंजामिन

नक़वी सर, बॉबी, ब्रदर बेंजामिन

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किससे नफरत करूं और कैसे

दुविधा मे हूँ और परेशान भी


वो कहते है मुसलमानो से नफरत करो

जब करना चाहता हू तो कुछ याद आता है

याद आ ज़ाते है नकवी सर

हिन्दी के टीचर

बड़ा फर्क करते थे मुझपे,

नंबर भी ज्यादा देते

और अक्सर कहते

हिन्दी को हमेशा माँ की तरह समझना।


वो कहते है सिक्खो से नफरत करो

तो याद आ जाता है बचपन का बॉबी

खोया था उसने अपने भाई को 84 मे

अगले दिन मेरे ही पास आकर बैठा था क्लास मे

सिसक के रोता रहा

मेरे ही साथ लंच किया

मेरे ही साथ वापस घर गया

और कुछ बोला नही।


वो कहते है इसाइों से नफरत करो

तो याद आ ज़ाते है प्रिंसिपल ब्रदर बेंजामिन

कहते थे कुछ याद हो ना हो

जन गण मन ज़रूर याद रखना

नेशनल ऐन्थम है हमारा।


कैसे क़रू नफरत, बताओ मुझको भी

इनसे नफरत करना तो

बचपन से नफरत करने जैसा है

ज़िसको सहेज के कितने सालों से रखा है

मुझको जी लेनो दो

इन सब के साथ, ऐसे ही

ये ज़िन्दगी तो अब इन्हीं के साथ गुजरे गी।


अगले जन्म मे फिर कोशिश कर लेना

पर मैं कुछ कर नही पाऊंगा

अगर मिल गये मुझे फिर से कहीं

नकवी सर, बॉ्बी और ब्रदर बेंजामीन !


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