नियति
नियति
विस्तृत गगन चतुर्दिक..
है आवरण प्राकृतिक..
उत्तुंग शिखर विशालकाय..
अचल, अटल सुव्यवस्थित..
है सर्वस्व नियति नियंत्रित..
है विस्तार सकल जगती..
है घूर्णित आधार धरती..
श्वांस-श्वांस स्व संयमित..
है सकल जनगण पोषित..
है सर्वस्व नियति नियंत्रित..
वो पार्श्व नायक नियंता..
है वो जगत अभियंता..
खग विहग सब सज्जित..
लता तरू सब अच्छादित..
जल कण-कण अभिमंत्रित..
है सर्वस्व नियति नियंत्रित..
है सर्वस्व नियति नियंत्रित..
