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राठौड़ मुकेश

Abstract

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राठौड़ मुकेश

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नियति

नियति

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विस्तृत गगन चतुर्दिक..

है आवरण प्राकृतिक..


उत्तुंग शिखर विशालकाय..

अचल, अटल सुव्यवस्थित..

है सर्वस्व नियति नियंत्रित..


है विस्तार सकल जगती..

है घूर्णित आधार धरती..


श्वांस-श्वांस स्व संयमित..

है सकल जनगण पोषित..

है सर्वस्व नियति नियंत्रित..


वो पार्श्व नायक नियंता..

है वो जगत अभियंता..


खग विहग सब सज्जित..

लता तरू सब अच्छादित..

जल कण-कण अभिमंत्रित..


है सर्वस्व नियति नियंत्रित..

है सर्वस्व नियति नियंत्रित..


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