नई सोच
नई सोच
आओ आज जीते हैं।
आज जी भरकर जी लेते हैं।
हर तक़रार को पी लेते हैं
विचारों को रईसी का
जामा पहनाते हैं।
हर धड़कन में
साँसों को जगाते हैं।
आओ रिश्तों की परिधि में
विस्तार लाते हैं।
वृक्षों को भाई और
नदियों को बहन बनाते हैं।
रूह से खुद को
रूबरू करते हैं।
मिलकर कुछ नया रचते हैं।
सपने कुछ नए बुनते हैं।
दुःख और आँसू को
ओझल करते हैं।
देने की फितरत को
आबाद करते हैं।
नजरिये से कमाल करते हैं।
आओ आज जीते हैं।
आज जी भरकर जी लेते हैं।
