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PRAGATI Bhattad

Abstract

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PRAGATI Bhattad

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मां तुझे प्रणाम"

मां तुझे प्रणाम"

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मेरे हर गम में तेरी आंखें नम होती है

तुझे भी तो पीड़ा माँ कुछ कम नहीं होती है।


मेरी आरजू मां मैं तुझ पर वार दूं

 तेरे हर अफसोस को मैं सवार दूँ।


तेरी दुआएं बरकत की तरह साथ चलती है

 मां तू हर वक्त मेरे पास ही तो रहती है।


मां कभी बूढ़ी नहीं होती

वह तो हमारे एहसासों में बड़ी होती है।


अपने तजुर्बे से हमें बड़ा करती है

हर नादानी को हमारी हमसे दूर करती है।


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