"नदी कल कल आवाज"
"नदी कल कल आवाज"
नदियों की कल कल की आवाज
ऊपर से मछलियों की यह साज
भर देती है, जख्म कई, एक साथ
बड़ी ही अच्छी लगती है, आवाज
देखकर नदी, सरोवर या तालाब
मिटती उदास चेहरों की खाज
आ जाती चांदनी उन चेहरों पर
जो बैठ जाते है, नदियां के पास
ऐसी सुरीली होती, नद आवाज
जो चेहरे हो चुके है, उम्र-दराज़
उनके लिये फजल है, नद ख्वाब
उनको बना देती है, नदी परवाज
जिनके पास है, इरादों का ताज
नदी के किनारे, चिड़ियों की चूँ-चूँ
हृदय को देती है, सुकूं बेहद खास
सब गम भूला देती, नद आवाज
जब जलाये दुनिया की आंच
चले आये, आप नदियां के पास
दर्द मिटेगा, गम जायेगा भाग
प्रकृति में है, वो मल्हम खास
मिल जाती, संजीवनी खास
मनु सभ्यता का हुआ, विकास
जहां बहती रही, नदिया हजार
वो जगह है, स्वर्ग सम संसार
नदी की कल कल की आवाज
कल क्या विकसित करे, आज
नदियों को गंदा न करो जनाब
नहीं तो मिट जायेगा, इतिहास
नदियों को स्वच्छ करो, आप
नदियां देगी हमें जल, अपार
फिर खेती हो जायेगी, बेशुमार
फिर सुखी होगा, सारा समाज
जलीय जीवों का न होगा, हास्
स्वच्छ जल में, सही लेते वो सांस
नदी स्वच्छता का करो, ख्याल
कल कल आती रहे, नद आवाज
कचरा डाल, इसे न करे, गंदा आप
एक दिन वो दिन भी जरूर आयेगा,
जब स्वच्छ नद जल का होगा, राज
इसके लिये सही इंसान बनो आप।
