नैनों का मद
नैनों का मद
नैनों के मद की चाहत में खामोशी खो जाएंगी
बातें जो भी दिल में रहती अरमा नए सजाएगी
तन्हाई में दर्द ना हों टीस बढ़ती जाएंगी
खुशकिस्मत तेरी चाहत में आहें भी भरमाएंगी।
कहीं खबर मुझमें ना होंगी दिल में तेरे आने की
कहीं सब्र भी ठुकरा देगा महफ़िल तुझको पाने की
तन्हा मैं भी मान ही लूंगा गलती थी अनजाने की
मर्मकता फिर बढ़ जाएंगी जिंदादिल दीवाने की।
शादी प्रथा जमाने की है जीवन का दस्तूर नहीं
मिलने में जब प्रीत बढ़े तो तू मुझसे कभी दूर नहीं
बसती है तू दिल में मेरे मुझमें कोई नूर नहीं
तू मेरी सरगम बनती है मै तेरी जरूर नहीं।