नारी
नारी


सदियों से
निस्सीम व्योम
छूूने की ललक
उकसाती थी उसको
पा लेना चाहती थी
वो अनंत व्योम सीमाएँँ
ज्योंं ही मिली परवाज़
पंखों को उसके
भरी उड़ान
विश्व-गगन की हर दिशा में
तैर चली
वायुु-लहरों पर
छूने उपलब्धियों के
नए क्षितिज
यह उसीके
समर्पण की विजय कहानी है
आज हर क्षेत्र में
सबसे आगे नारी है
अपनी प्रतिभा से
पड़ रही वह
साथी मर्दों पर भारी है
सुुनहरे क्षितिज पर
हस्ताक्षर की
उसकी पूरी तैयारी है।