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Dr Vidushi Sharma

Drama

4  

Dr Vidushi Sharma

Drama

नारी

नारी

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सृष्टि का आधार है नारी, प्रकृति का श्रृंगार है नारी,

 नारी है तो प्रेम है, बंधन है, हर रिश्ते की डोर है नारी।


 बचपन की अल्हड़ता में भी, भाव का भंडार हैं नारी

 यौवन में लज्जा संयम का, सुंदरता का संगम है नारी।


होती विदा जब बाबुल के घर से, दो घरों की लाज है नारी,

 अपने तन, मन, निष्ठा से, नव जीवन को अपनाती नारी ।


माँ बन कर जीवन में, पूर्णता पा लेती है नारी,

सर्वस्व अपना सौंप कर, बच्चों को बनाती हैं नारी।


 प्रकृति धरती की तरह, बस देना ही जानती है नारी,

प्रेम, भाव, इज्जत, बस यही तो मांगती हैं नारी।


 जीवन के हर पड़ाव में ,बस आलंबन चाहती हैं नारी,

 वरना तो वो स्वयं शक्ति है ,और हर किसी पर भारी है नारी ।

 

नारी को सरल न समझो , ईश्वरत्व का मिश्रण है नारी,

हम खुद अपना सम्मान करें, और मान करें हम हैं नारी।


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