नारी
नारी


ममता की पहचान है नारी,
ईश्वर का वरदान है नारी,
नारी से है यह जग सुंदर,
सहस्त्र गुणों की खान है नारी।
जीवन का आधार है नारी,
सृष्टि का अलंकार है नारी,
नारी से मकान घर कहलाता,
गृह-आँगन का श्रृंगार है नारी।
प्रेम सुधा का घन है नारी,
सुगंधित मानो उपवन है नारी,
धरा सा धैर्य धारण करती है,
ऊँचाई में मानो गगन है नारी।
ग्रीष्म में शीतल छाँव है नारी,
मनमोहक एक गाँव है नारी,
सौंदर्य और ज्ञान की है देवी,
वंदनीय सिर से पाँव है नारी।