नारी
नारी
हे समाज के लोगों !
नारी को ना समझो कमजोर
नारी के कई रूप है जिसे तुम
कभी ना समझोगे लगा लो
कितना भी जोर
नारी में है शक्ति सारी
फिर क्यूँ कहो
नारी को बेचारी !
हे समाज के लोगों !
नारी को ना समझो कमजोर
नारी के कई रूप है जिसे तुम
कभी ना समझोगे लगा लो
कितना भी जोर
नारी में है शक्ति सारी
फिर क्यूँ कहो
नारी को बेचारी !