नारी
नारी


नारी है संसार की जननी,
पालनकर्त्री संकट हरणी।।
कभी न करो इसका अपमान,
वरना धरती होगी श्मशान ।।
हिमगिरी सी दृढ़ता इसमें,
महासागर सी गहराई ।।
गंगा जैसी पतितपावनी,
बादल जैसी तरुणाई ।।
मातृ रूप में जन्म देती,
बन बहना संकट हरती।।
कहानी सुनाती दादी - नानी बन,
बेटी रूप में शान बढ़ाती।।
बिन मांगे कर सर्वस्व अर्पण,
सारे कलेश - विपत्ति हरती।।
अर्धांगिनी बन धर्मस्वरूपा,
पग - पग पर साथ देती ।।
बिन नारी घर बार न होता,
न हम होते न संसार होता ।।
सृष्टि रचना कैसे होती ,
मानव का कभी उत्थान न होता।।
दया करूणा ममता की खान,
आओ मिलकर करे यशगान।।
नारी से ही हमारी शान,
कभी न करो इसका अपमान,
वरना धरती होगी श्मशान ।।