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Priyadarshita Dash

Inspirational

4  

Priyadarshita Dash

Inspirational

मेरी माँ!

मेरी माँ!

3 mins
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माँ!

जो सिर्फ प्यार और ममता का श्रृंगार करती हैं।

आपको शब्दों के अलंकार से मे मैं कैसे सजाऊं?! 

आप तो अपने आप में ही एक कीमती कोहिनूर हैं।

जो सबसे अनोखी हैं।

मेरी माँ!

जो सबसे न्यारी हैं, सबसे प्यारी हैं।

मेरे शब्द आप की मूरत सजाने में शायद फीके पड़ जाएं माँ!

पर मेरा प्यार नहीं।

...

मेरी बचपन की छोटी-छोटी नादानीयों को,

उन मासूम सी मेरी शैतानीयों को !

मेरी तुतलाने वाली उन मासूम सी बोलियों को,

मेरी बचपन की सुनहरी छवियों को!

मन की तिजोरी में,

यादों की थैली में!

मेरी कीमती घड़ियों को संभाल कर रखने वाली,

मेरी प्यारी माँ!

आपकी तुलना में किससे करूं,आप तो अनमोल हैं।

मेरे लिए सबसे खास हैं। 

...

मेरी माँ!

जो बिना किसी शिकायत के,

साल के 365 दिन मेरा ख्याल रखती हैं।

जो बिना किसी सवाल के मुझे हर परेशानी का जवाब दे जाती हैं।

अगर कभी ये आंखें नम हो,

तो इन्हीं आंखों में,

मेरे मन की उदासी को,

अपनी मन की आँखों से

यूं एक झटके में,

पढ़ लेती हैं।

मेरी बेजुबान सी खामोशी को,

यूँ ही खामोशी से सुन लेती हैं।

मेरी माँ,

जो बिन बोले ही मेरे मन की सारी बातें समझ लेती हैं।

माँ!

आपने मुझे गलती करने की पूरी आजादी दी,

ना कभी रोका!

और ना कभी मेरी गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश की!

हां!डांटा!

मगर सही और गलत का फर्क भी,

हर बार प्यार से समझाया।

मुझे हर बार सीखने का एक और मौका जरूर दिया।

शायद इसलिए!

ताकि मैं, 

मुश्किलों से कभी भागुं ना।

गलती से की गई गलती दोबारा दोहराऊं ना।

हालातों के संघर्ष के आगे कभी सर झुकाऊं ना।

डर का डटकर सामना कर पाऊं।

...

मेरी प्यारी मां!

जब जब मेरे पावं डर से लड़खड़ाए,

आपने मुझे संभाल लिया।

कसकर गले से लगा लिया।

और फिर हिम्मत और नई सीख के संग,

नए जज्बे का हाथ पकड़ा कर,

आपने हर बार मुझे नई राह दिखाई।

माँ! 

आपने मुझे मेरे सपनों में उड़ान भरने की पूरी आजादी दी, 

कामयाब होने की,

मुझे हरबार एक नई उमंग दी।

मुझमें बेखौफ होने का!

हमेशा जज्बा जगाया।

"आत्म सम्मान ही परिचय है"!

 मुझे इसका अर्थ बतलाया।

 ...

 माँ!

 जो खुद के अलावा सबका ख्याल रखती हैं,

 जो अपने से ज्यादा अपनों की परवाह करती हैं।

 हां!

 कभी-कभी काम करते-करते थोड़ा थक जरूर जाती हैं,

 पर अपने बच्चों के लिए,

 सर पे चिंता का बोझ लिए कभी नहीं थकती।

 खैर,

 अपनी उदासी को एक मासूम सी मुस्कुराहट में,

 बड़ी आसानी से छुपा लेती हैं,

 भले ही उसकी अपनी ख्वाहिशें जिम्मेदारी के बोझ के तले कहीं दब से गए हों,

 पर फिर भी अपने बच्चों के खुशियों में,

 खुद के सपने सजाए,

 मन में एक आस जगाऐ,

 जी उठती है।

 मेरी प्यारी मां!

 जिसकी खुशियां उसके बच्चों में समाती है।

 जो अपने बच्चों में ही अपनी दुनिया निहारती हैं।

 ...

 माँ!

 आपने मुझे प्यार और ममता की पवित्र भाव से सींचा है,

 मुझमें सच्चाई और हिम्मत का बीज बुना है।

 मेरे निर्माण की खिलती सतरंगी पंखुड़ियों में,

 आपके संस्कार के सप्तरंग खीलते हैं!

 मेरे चरित्र का निर्माण प्रतिबिंबित होता है!

 मेरे जीवन की नींव को आकार देने वाली,

 मेरी देवी रूपी माँ!

 इन चंद शब्दों से,

 आपके अप्रतिम प्रतिमा का वर्णन करना,

 शायद!

 शायद नहीं, निश्चित!

 मेरे लिए असंभव है!

 ...


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