मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ
मेरी क्षमता का मोल नहीं ,
मेरे जज़्बातों का तोल नहीं।।
पल - पल मरती अरमानो संग,,
मेरे ख़्वाबों का कोई दाम नहीं।
मुझे कर बेबस आज,,
मानव ने इंसानियत खोयी है ।।
आज इंसान की करनी पर,,
शर्म भगवान को भी आयी है ।।
भेदभाव का बीज नर ने उगाया है ,,
स्त्री के चरित्र को धूमिल बनाया है ।।
हर - क्षण , हर - पल मरती है नारी,,
किसी ने भी आकर मुझे नहीं संभाला है ।।
पल - पल रूप अलग है मेरे
कभी माँ तो कभी समाज की धार हूं ।।
हर रोज अनेक परिस्थतियों से लड़ती ,,
तभी तो कहलाती तेज तलवार हूँ ।।
धैर्य से सब सहती हूँ
वरना धरती चीर दिखाने की औकात है।।
मेरे हौसलों के आगे ,,
नहीं टिके कोई ऐसी मुझमे बात है ।।