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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

"दशहरा"

"दशहरा"

3 mins
701


असत्य पर हो गई,सत्य की जीत

अच्छाई ने दिया था,बुराई को पीट

इसलिये मनाते दशहरा,हम निर्भीक

क्योंकि सत्य दीप जले थे,इसी दिन


प्रभु श्री राम ने दशहरे के ही दिन

रावण,कुंभकर्ण को किया था चित

आज भी प्रतिवर्ष जलाते है,पुतले

ताकि उजाला चीरे अंधेरा हर दिन


झूठ चाहे कितना ताकतवर हो,

अंत में जीतता है,बस सत्य गीत

बुराइयों से आप हमेशा ही दूर रहे,

मन से मिटाये बुराई आप प्रति दिन


बुराई को मारते रहे जूते बिना गिन,

ताकि सत्य रहे,नित रोशन नवीन

बुरी नजर को सही समय पर मिले,

अच्छी नजर की एक ऐसी किरण


फिर वो क्या,मिटेगा पूरा कुनबा,

जैसे मिटा रावण का दुर्गुण महीन

जो बुराई साथ दे,उसको भी मार दे,

जो भी सत्य को ज़रा भी करे,क्षीण


पर आज तो रावण भी रोता है

उसके साथ हुआ बहुत धोखा है

उसने तो जीवन में,एक गलती की,

इस कारण प्रतिवर्ष जलाते चोखा है


उनका क्या?पल-पल बुरा करते है,

दुष्कर्मी,ईर्ष्यालु,झूठे आज जिंदा है,

उन्हें कब देंगे सजा का तोहफा है

जिसने बुराई का लिया हुआ ठेका है


इस दशहरा करे,हम यह निश्चय है,

बुरे को सजा देंगे,हम तो उसी दिन

तभी मनाना सार्थक है,दशहरा दिन

खिले सत्य पद्म हर युग,हर दिन


इसके लिये खुद भीतर से मिटाये,

हम सब हर बुराई को गिन-गिन

तभी रोशन होगा सत्य प्रतिदिन

असत्य पर हो गई सत्य की जीत

इसलिये मनाते दशहरा,हम निर्भीक।



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