STORYMIRROR

Lalita Rautela

Inspirational

4  

Lalita Rautela

Inspirational

नारी

नारी

1 min
517

देखा है मैंने उसे

चूल्हा फूंकते, चौका करते,

राख, मिट्टी से बर्तन मांजते,

हाँ ! देखा है मैंने उसे।

उसके हाथों की आड़ी तिरछी,

गहरी, काली लकीरों को

जो वक्त के साथ और भी

होती जाती हैं गहरी,

किस्मत मान चुकी लकीरों को,

हर किसी से छिपाते

हाँ ! देखा है मैंने उसे।

उसके पैरों की घाव बन चुकी

बिवाइयों से रिसता है खून

पर उसे कहाँ वक्त कि

वो जरा रुककर देखे ,

बस अकेले में हौले से सहलाते

हाँ ! देखा है मैंने उसे।

सबकी परवाह करते,

ख्वाहिशें पूरी करते

तिल-तिल मरते, खपते

बिना शिकन चेहरे पर लाये

दर्द छुपाकर, बस मुस्कुराते

हाँ ! देखा है मैंने उसे।

मौन बन सहते,

टूटते, जुड़ते,

बिखरते,

और

सिसकते 

हाँ ! देखा है मैंने तुझे

नारी।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational