नारी
नारी
नारी तू एक है पर तुझमें गुण अनेक है
तू जन्म लेती है और घर की लक्ष्मी बनती है
भाई की बहन बनती है पापा की परी बनती है
मां की रानी बेटी बनकर सब के दिलों में राज करती है
नारी तू एक है पर तुझमें गुण अनेक है
अपनी शरारतो से अपने घर को महकती है
और रिश्तो में एक नई रोशनी लाती है
बनकर एक काबिल इंसान अपने मां-बाप
और परिवार का नाम रोशन कराती है
आती है मुश्किल तेरी भी राह में
परतु अपने धैर्य विश्वास और संस्कार की हिम्मत से
तू सब से लड़ जाती है तोड़ देती है सारी रोक-टोक
और अपने मंजिल तक पहुंच जाती है।
नारी तू एक है पर तुझमें गुण अनेक है
बस यहीं खत्म नहीं होता तेरा रास्ता
तू आगे ही बढ़ते जाती है
एक घर को महका के दूसरे घर में जाती है
और अपने संस्कारों से एक नया स्वर्ग बनाती है
अपने साथ अपने बच्चों को भी जीवन जीना सिखाती है
कभी मां कभी बीवी कभी बहु बनके
अपने घर को महकती है।
नारी तू एक है पर तुझमें गुण अनेक है।
