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Aarti Ayachit

Inspirational

5.0  

Aarti Ayachit

Inspirational

नारी तेरी सदैव ही परीक्षा

नारी तेरी सदैव ही परीक्षा

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दूर गगन की छाँव में रह गया मेरा गाँव

हरे भरे लहलहाते खेत पीपल की छाँव

बाबुल ब्याह दिया तूने आयी

पिया घर पीछे छोड़

जिंदगी का पहला मोड़।


तेरे ही सिखाए रास्तों पर

चल पड़ी मैं नयी डगर

साथ निभाते हुए साजन के साथ

रंगीले रिश्तों की हुई शुरुआत।


बाबुल तूने ही कहा था न मुझे

बेटी हर दिन होता न एक जैसा

तेरे ही सिखाए संस्कारों के साथ

कर रही कोशिश आदर्श बहू बनकर

बिना आऊट हुए स्कोर बनाऊँ नाबाद।


इस दूसरे मोड़ पर जिंदगी के

मेरे कदम लड़खड़ाएंगे तो बाबुल

तो इस जीवन में करती हूँ प्रार्थना

तुम आशीर्वाद रूपी आत्मविश्वास

के साथ आंतरिक हिम्मत को बढ़ाना।


दस्तुरों का निर्वाह करते हुए

फिर जिंदगी ने ली करवट

मिली ईश्वर से मुझे

पुत्र-पुत्री के रूप में नयी सौगात।


जीवन में प्रवेश हुआ एक इतिहास

साजन के संग बनाऊँगी हर पल खास

सभी रिश्तों में रहे खुशियों का एहसास।


पलक्षण पलक्षण बीत रहा है वक्त

अपने व्यवहार से ही करना है सब व्यक्त

उन्हीं संस्कारों के माध्यम से

अपने बच्चों को बनाएं सशक्त।


इस आधुनिक युग में बच्चे

सदैव ही रहेंगे व्यस्त

मैं फिर भी रहकर मस्त

बच्चों की शिक्षा व शादी का करूँ बन्दोबस्त

जीवनसाथी के साथ जिंदगी बनाना है जबरदस्त।


इन सबके पश्चात बाबुल

आएगा ज़िंदगी का तीसरा-अंतिम पड़ाव

अंतिम पड़ाव ना समझ

बढ़ाऊँगी आगे कदम मिलेगी नई दिशा।


क्योंकि यह जीवन ही है

सदैव नारी की परीक्षा

हो मन में विश्वास अटल

जीवन में हर पल होगा सफल।


उम्मीदों की डोर बाँधे हुए

पार करो मंजिल को हर

लाख मुश्किलें भी हो जाएंगी विफल।।


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