नारी शक्ति
नारी शक्ति
एक नारी होती है
शक्तिशाली
ममतामयी
वीरांगना
नारी एक
उसके रूप अनेक
पात्र एक
उसके किरदार अनेक
जन्म लेते ही
खुद ब खुद
जाने क्या क्या सीख लेती वह
जीती खुद के लिए कम
दूसरों के लिए अधिक
एक छोटे से जीवन में ही
न जाने कितनी लंबी यात्रा
न जाने कितने मोड़,
ठहराव और पड़ाव लिए
जी लेती वह
हंसते हंसते
अपना सब कुछ दूसरों पर न्योछावर
खुद को पूर्ण रूप से समर्पित कर
बलिदान कर देती वह
सब कुछ जानते हुए भी
वार सहती
मुंह पर अंगुली रखकर
खामोश रहती
किसी को कुछ न जताती
न खोलती कोई भेद
भीतर से टूटी भी हो गर
दिल उसका रोता भी हो
पर
चेहरे से हमेशा ही एक फूल सी
खिलती दिखती
तरोताजा और मुस्कुराती
दिखती
एक तरफ घर
दूसरी तरफ उसका कार्यक्षेत्र
बीच में
समाज, परिवार, रिश्तेदार
और वह खुद
यह सब कुछ वह बखूबी
संभाल लेती
जैसे हाथ उसके दो न होकर
हों दस
प्रभु कृपा से
इंसान रूप में
एक देवी की शक्ति रहती
समाहित उसमें
प्रभु का प्रसाद समझ
ग्रहण करती चलती
वह हर विपत्ति को
हर कर्तव्य का निर्वाह
करती
विपदाओं से न विचलित होती
खुद का सहारा बनती
सबका सहारा बनती
ऐसे महान गुणों के
खजाने की कुंजी वह
घर से काम करती हुई निकलती
अपनी कार्यस्थली पर
पहुंचकर भी
फिर जी जान से
काम करने में जुटती
एक घड़ी की सुई सी ही
वह दिन रात
दौड़ भागकर काम
करती पर
कभी न थकती
कभी न सुस्ताती
कभी हिम्मत न हारती
वह तो एक गृहलक्ष्मी
हर कार्य में अग्रणी
अनेकों की भविष्य निर्माता
एक कुशल गृहणी
एक सफल कार्यकर्ता
एक मजबूत आधार शिला की
राष्ट्र की गौरव
राष्ट्र निर्माता।